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Bihar के सरकारी स्कूलों में किताबों की भारी कमी: बच्चों की पढ़ाई खतरे में!

बिहार के सरकारी स्कूलों में किताबों की बड़ी संकट कई जिलों में अभी भी बच्चों को नहीं मिली किताबें, पढ़ाई
Bihar के सरकारी स्कूलों में किताबों की भारी कमी: बच्चों की पढ़ाई खतरे में!

बिहार के सरकारी स्कूलों में किताबों की बड़ी संकट

कई जिलों में अभी भी बच्चों को नहीं मिली किताबें, पढ़ाई पर सीधा असर

बिहार के सरकारी स्कूलों में इस समय सबसे बड़ी समस्या पाठ्यपुस्तकों की भारी कमी है। नए सत्र की शुरुआत को काफी समय हो चुका है, लेकिन कई जिलों में हजारों बच्चों को अब तक किताबें नहीं मिली हैं। इससे न सिर्फ पढ़ाई की गति धीमी हो गई है, बल्कि बच्चों की समझ, होमवर्क, परीक्षा की तैयारी और कक्षा में सक्रियता पर भी असर पड़ रहा है।

किताबें न मिलने से पढ़ाई क्यों रुक रही है

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे ऐसे परिवारों से आते हैं, जो निजी तौर पर किताबें खरीदने की स्थिति में नहीं होते। सरकार हर साल मुफ्त किताबें देती है, जिस पर पढ़ाई का पूरा सिस्टम टिका होता है। लेकिन इस साल पुस्तकों की आपूर्ति में देरी हो गई है।
कई स्कूलों में शिक्षक बताते हैं कि उनके पास सिर्फ आधी किताबें आई हैं, बाकी की प्रतीक्षा लगातार जारी है। कुछ जिलों में प्राथमिक कक्षाओं की किताबें उपलब्ध हैं, लेकिन माध्यमिक या उच्च माध्यमिक वर्गों के बच्चे खाली हाथ हैं। इससे कक्षा में अध्यापन अधूरा रह जा रहा है, क्योंकि बिना किताब के बच्चे अध्याय को समझ नहीं पाते।

किन जिलों में स्थिति अधिक खराब

खबरों के अनुसार, पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा और कई अन्य जिलों में किताबों की कमी सबसे अधिक देखने को मिल रही है।
कुछ स्कूलों में शिक्षक पुराने वर्षों की किताबें दिखाकर काम चला रहे हैं, जबकि कुछ जगहों पर बच्चे सिर्फ कॉपी में लिखकर पढ़ रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की कई किताबें छपकर देर से आईं, जबकि कुछ अभी भी वितरण के लिए गोदामों में पड़ी हैं। इस देरी का असर सीधे बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।

शिक्षक और अभिभावक दोनों चिंतित

स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि बिना किताब पढ़ाना मुश्किल हो गया है।
कई अभिभावकों ने भी चिंता जताई है कि बच्चे घर पर पढ़ाई नहीं कर पा रहे। परीक्षा नजदीक आने के बाद स्थिति और अधिक कठिन हो सकती है।
कुछ जगहों पर अभिभावकों ने शिक्षा विभाग से किताबें जल्द उपलब्ध कराने की मांग भी की है।

सरकार क्या कर रही है!

शिक्षा विभाग ने किताबों की कमी स्वीकार करते हुए कहा है कि वितरण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और जल्द सभी स्कूलों में पुस्तकें पहुँचाई जाएंगी।
विभाग का दावा है कि जितनी किताबें छप चुकी हैं, उन्हें जिलों में भेजने का काम जारी है।
हालांकि जमीनी स्तर पर स्थिति अभी भी बेहतर नहीं दिख रही है, क्योंकि कई स्कूलों में स्टॉक लगातार कम है।

छात्रों का भविष्य दांव पर!

लंबे समय तक किताबें न मिलने से बच्चों की नींव कमजोर होती है।
कक्षा में पढ़ाए जा रहे अध्याय उन्हें समझ में नहीं आते, तैयारी अधूरी रहती है और इसका असर परीक्षा परिणाम पर भी पड़ता है।
ग्रामीण इलाकों में यह समस्या और गंभीर है, क्योंकि वहां विकल्प के तौर पर निजी ट्यूशन या अतिरिक्त संसाधन भी आसानी से उपलब्ध नहीं होते।बिहार के सरकारी स्कूलों में किताबों की कमी सिर्फ एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि बच्चों के भविष्य से जुड़ा अहम मुद्दा है।
जब तक सभी छात्रों तक समय से किताबें नहीं पहुँचतीं, तब तक पढ़ाई की गुणवत्ता सुधर नहीं सकती।
सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किताबों की आपूर्ति में देरी दोबारा न हो, ताकि राज्य के लाखों बच्चे समय पर और सही संसाधनों के साथ अपनी शिक्षा पूरी कर सकें।

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