Last updated: December 6th, 2025 at 04:43 pm

बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी लापरवाही: कई जिलों में डॉक्टरों की भारी कमी से मरीज परेशान
बिहार के कई जिलों से यह शिकायत लगातार बढ़ रही है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। कई अस्पतालों में नियुक्त पदों में से आधे से भी कम डॉक्टर उपलब्ध हैं। इससे मरीजों की संख्या बढ़ने पर इलाज में देरी होती है और गंभीर मामलों में लोगों को दूसरे जिलों तक जाना पड़ता है।
अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी सिर्फ छोटे शहरों या ग्रामीण इलाकों में ही नहीं है, बल्कि जिला मुख्यालयों पर भी कई विभाग महीनों से खाली पड़े हैं। कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर तो एक भी स्थायी डॉक्टर नहीं है। इससे मरीजों को सिर्फ नर्स और कंपाउंडर पर निर्भर रहना पड़ता है।
जिन अस्पतालों में डॉक्टर मौजूद भी हैं, वहाँ मरीजों की लाइन इतनी लंबी होती है कि एक डॉक्टर को सौ से अधिक मरीज देखने पड़ते हैं। इससे गंभीर बीमारियों की पहचान देर से होती है और मरीज की हालत बिगड़ जाती है।
दूर–दराज़ के जिलों में महिलाओं के लिए गायनेकोलॉजिस्ट, बच्चों के लिए पेडियाट्रिशन, और हार्ट, किडनी जैसे विशेषज्ञ डॉक्टर लगभग न के बराबर हैं। गंभीर मामलों को तुरंत रेफर कर दिया जाता है, जिससे गरीब परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
कई पीएचसी व CHC में लेडी डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने की वजह से गर्भवती महिलाओं को निजी क्लीनिक या बड़े शहरों का रुख करना पड़ रहा है। कई मामलों में देर से इलाज मिलने पर जटिलताएँ बढ़ जाती हैं।
सरकार दावा करती है कि नई भर्तियों से स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी आएगी, लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि पुराने पद खाली हैं और नई पोस्टिंग धीमी गति से हो रही है। कई डॉक्टर नियुक्ति के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में ज्वाइन नहीं करते। इसका सीधा असर सबसे ज्यादा गरीब परिवारों पर पड़ रहा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि
बिहार में स्वास्थ्य ढांचा पहले से ही कमजोर माना जाता था, लेकिन अब यह संकट और गहरा हो रहा है। अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी का सीधा प्रभाव मरीजों की जिंदगी पर पड़ रहा है। अगर आने वाले महीनों में बड़े स्तर पर सुधार नहीं हुआ, तो स्वास्थ्य व्यवस्था संभालना और मुश्किल हो सकता है।
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